वाहन क्रमांक स्वरूप (पैटर्न)

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भारत में चलने वाले प्रत्येक मोटर वाहन को स्थानीय आर॰टी॰ओ॰ कार्यालय में पंजीकृत कराकर उसके लिए एक क्रमांक (नंबर) निर्धारित कराना आवश्यक है। यह क्रमांक वाहन के आगे और पीछे लगी पट्टिका (नंबर प्लेट) पर प्रदर्शित किया जाता है। वाहन क्रमांक को एक विशेष स्वरूप में नियोजित किया जाता है, जिसमें प्रत्येक अक्षर और संख्या का एक विशेष अर्थ होता है। यहाँ पर हम किसी वाहन क्रमांक में उपस्तिथ सभी अंकों और अक्षरों के अर्थ को समझाने का प्रयत्न किया है।

 

वाहन पंजीकरण क्रमांक का प्रारूप


वाहन क्रमांक में लैटिन लिपि (अँग्रेजी) के अक्षरों के साथ हिन्दू अंक (हिन्दू-अरब संख्याएँ) होते हैं। जैसा कि यहाँ चित्र में प्रदर्शित किया गया है, किसी भी वाहन क्रमांक को ४ भागों में विभाजित किया जा सकता है। आइये, अब जानते हैं कि इन ४ भागों में से प्रत्येक का क्या अर्थ होता है।

Vehicle Number Pattern

नोट:- नंबर प्लेट वाहन की पहचान होती है। नंबर प्लेट की शैली वाहन के उपयोग एवम् प्रकार के अनुसार होती है। निजी वाहनों (कार, स्कूटर, मोटर साइकिल आदि) की नंबर प्लेट की शैली, वाणिज्यिक वाहनों (टैक्सी, बस, ट्रक आदि) से भिन्न होती है। इसी प्रकार सैन्य, विदेशी राजनयिकों के स्वामित्व वाले वाहनों और यहां तक कि इलेक्ट्रिक वाहनों की नंबर प्लेट भी एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न होती है। नंबर प्लेटों की विभिन्न शैलियों के बारे में अधिक जानकारी यहाँ पर उपलब्ध है

  1. किसी भी वाहन क्रमांक के पहले दो अक्षर 'प्रदेश' को दर्शाते हैं, जैसे कि - उत्तर प्रदेश के लिए 'UP' तथा तमिलनाडु के लिए 'TN' का प्रयोग किया जाता है। भारत के सभी प्रदेश, यहाँ तक कि केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए भी एक विशिष्ट द्वी-अक्षरीय संक्षिप्त नाम (कोड) का प्रयोग किया जाता है। कोई भी वाहन जिस प्रदेश में पंजीकृत होता है, उसके क्रमांक में शुरू के दो अक्षर उस प्रदेश का संक्षिप्त नाम प्रदर्शित करते हैं।
    • सभी प्रदेशों के संक्षिप्त नामों की सूची इस लेख के अन्त में दी गयी है।
  2. इसके आगे की दो संख्याएँ उस आर॰टी॰ओ॰ को प्रदर्शित करती हैं, जहाँ पर वाहन का पंजीकरण करवाया गया है, जैसे कि 'UP 14' का अर्थ हुआ कि वाहन को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद आर॰टी॰ओ॰ में पंजीकृत कराया गया है।
  3. वाहन क्रमांक के तीसरे भाग में एक, दो या तीन अक्षर हो सकते हैं। ये अक्षर वाहन क्रमांक की श्रृंखला को प्रदर्शित करते हैं। जब किसी श्रृंखला की सभी संख्याएँ उपयोग में आ चुकी होती हैं तब आर॰टी॰ओ॰ एक नई श्रृंखला का प्रयोग करना शुरू कर देता है।
  4. वाहन क्रमांक के चौथे और अंतिम भाग में ४ अंकों की संख्या होती है, जो वाहन क्रमांक की श्रृंखला में अद्वितीय होती है। यह संख्या ०००१ से ९९९९ के बीच में होती है।

 

राज्यों के संक्षिप्त नाम (कोड)


यहाँ पर सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित राज्यों के दो अक्षरों वाले संक्षिप्त नाम (कोड) को सूचीबद्ध किया गया है।

AN : अण्डमान और निकोबार
AP : आंध्र प्रदेश
AR : अरुणाचल प्रदेश
AS : असम
BR : बिहार
CH : चंडीगढ़
DN : दादरा और नगर हवेली
DD : दमन और दीव
DL : दिल्ली
GA : गोवा
GJ : गुजरात
HR : हरियाणा
HP : हिमाचल प्रदेश
JK : जम्मू और कश्मीर
KA : कर्नाटक
KL : केरल
LD : लक्षद्वीप
MP : मध्य प्रदेश
MH : महाराष्ट्र
MN : मणिपुर
ML : मेघालय
MZ : मिजोरम
NL : नगालैंड
OD : ओडिशा
PY : पुदुचेरी
PN : पंजाब
RJ : राजस्थान
SK : सिक्किम
TN : तमिलनाडु
TR : त्रिपुरा
UK : उत्तराखंड
UP : उत्तर प्रदेश
WB : पश्चिम बंगाल

 

अप्रचलित कोड


जब किसी राज्य या केन्द्र शासित राज्य का नाम परिवर्तित होता है, तो उसका संक्षिप्त नाम भी बदल दिए जाते हैं। यही बात अब हम आपको दो उदाहरणों की मदद से समझाने का प्रयत्न करेंगे -

  1. उड़ीसा को पहले अँग्रेजी भाषा में 'Orissa' लिखा जाता था तब इसका कोड 'OR' हुआ करता था, लेकिन अब इसे 'Odisa' लिखा जाने लगा है तो इसका संक्षिप्त नाम (कोड) भी 'OD' हो गया है।
  2. इसी तरह, पहले उत्तराखण्ड को उत्तराँचल के नाम से जाना जाता था। इसके नाम के परिवर्तित होने के बाद इसके वाहन कोड को भी 'UA' से बदलकर 'UK' कर दिया गया है।

 

 

शब्द ज्ञान

जातुधान (संज्ञा)

अर्थ:- धर्म-ग्रंथों में मान्य वे दुष्ट आत्माएँ जो धर्म विरोधी कार्य करती हैं तथा देवताओं, ऋषियों आदि की शत्रु हैं।

उदाहरण:- पुरातन काल में राक्षसों के डर से धर्म कार्य करना मुश्किल होता था।

पर्यायवाची:- अनुशर, अपदेवता, अमानुष, अविबुध, अशिर, अश्रय, असुर, आकाशचारी, आशर, आसर, आस्रप, कर्बर, कर्बुर, कीलालप, कैकस, तमचर, तमाचारी, तमीचर, तरंत, तरन्त, त्रिदशारि, दतिसुत, दानव, देवारि, दैत, दैत्य, ध्वांतचर, ध्वान्तचर, नरांश, निशाचर, निशाविहार, निशिचर, निषकपुत्र, नृमर, नैऋत, नैकषेय, नैरृत, पलंकष, पलाद, पलादन, यातुधान, रक्तग्रीव, रक्तप, रजनीचर, राक्षस, रात्रिबल, रात्रिमट, रेरिहान, रैनचर, लंबकर्ण, लम्बकर्ण, सुरद्विष, ह्रस्वकर्ण