सड़क चिन्हों (Sadak Chinh / Sanket) में शब्दों का कम प्रयोग होता है, सामान्यतः वह प्रतीकों में होते हैं। प्रतीकों को समझना और याद रखना सरल होता है। चिन्ह / प्रतीक भाषाओं पर निर्भर नहीं होते हैं, इसलिए आप भारत में कहीं भी सड़क चिन्हों को समझ सकते हैं, चाहे आप उस स्थान की भाषा जानते हों या नहीं। सड़क चिन्ह विश्व के लगभग सभी देशों में एक समान होते हैं, अतः चिन्हों को पहचानने से विदेशों में यात्रा करते समय भी आसानी होगी। परिवहन (यातायात) सुविधाओं के दक्षतापूर्ण प्रचालन एवं सभी की सुरक्षा के लिए सड़क चिन्हों को समझना महत्वपूर्ण है।
सड़क चिन्हों का रंग
सड़क चिन्ह का रंग उसके उद्देश्य को समझने में बहुत सहायक होता है। सड़क चिन्हों में रंगों का तात्पर्य का वर्णन यहां किया गया है।
- लाल रंग का उपयोग उन सड़क चिन्हों में होता है, जो हमें कुछ करने से रोकते हैं जैसे कि प्रवेश निषेध।
- श्वेत (सफेद) पृष्ठभूमि पर लाल रंग के चिन्ह सामान्यतः निषेधात्मक होते हैं और उनका पालन करना अनिवार्य होता है।
- नीली पृष्ठभूमि पर श्वेत चिन्ह यातायात का दिशात्मक मार्गदर्शन करते हैं।
- हरे रंग की पृष्ठभूमि पर श्वेत पाठ सामान्यतः सड़क का नाम या उस गंतव्य का नाम बताता है जहां सड़क जाती है।
- प्रतिदीप्तिशील (फ्लोरोसेंट) पीला / सफेद रंग पदयात्री मार्ग और विद्यालय क्षेत्र के बारे में सूचित करता है।
- सड़क कार्य क्षेत्र के बारे में चेतावनी और मार्गदर्शन के लिए नारंगी रंग का उपयोग किया जाता है।
- नीले रंग के चिन्ह सड़क के किनारे सेवाओं, पर्यटक सूचना, और निकासी मार्गों के बारे में सूचित करते हैं।
सड़क चिन्हों की आकृति
सड़क चिन्हों के प्रकार के अनुसार उनकी आकृति भिन्न होती है। भिन्न आकृति होने से सड़क चिन्हों के ध्येय का बोध सहज ही हो जाता है।
- अनिवार्य सड़क चिन्ह गोलाकार आकृति के होते हैं।
- ठहरिये एवम् रास्ता दिजिए के चिन्ह इस नियम के दो अपवाद हैं।
- चेतावनीपूर्ण सड़क चिन्ह त्रिकोणीय आकृति के होते हैं।
- सूचनात्मक सड़क संकेत आयताकार आकृति के होते हैं।
सड़क चिन्हों का वर्गीकरण
भारत में सड़क चिन्हों को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है।