यात्रा करते समय, राहदारी या पथ-कर (टोल टैक्स) से हम सभी का साक्ष्य अवश्य रहा होगा। फिर चाहे हमारी यात्रा का माध्यम सार्वजनिक यातायात, भाड़े पर लिया गया व्यवसायिक वाहन, या निजी वाहन ही क्यों ना हो। सार्वजनिक एवं व्यवसायिक वाहनों पर नाना प्रकार के कर लगते हैं, उदाहरणतय: चुँगी महसूल, शहर प्रवेश, राहदारी, इत्यादि।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एन॰एच॰ए॰आई॰) के सौजन्य से भारतवर्ष के मानचित्र पर राजमार्ग-तंत्र की कोशिकाएँ निरंतर बढ़ रही है। नवीन आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष २०१७-२०१८ में प्रतिदिन २७ किलोमीटर नए राजमार्गों का निर्माण हुआ है। अधिकतर नए राजमार्गों पर पथ-कर वसूला जाता है।
इस लेख में हम राजमार्गों पर होने वाली पथ-कर वसूली की प्रक्रिया की समीक्षा करेंगे।
पारंपरिक पथ-कर एकत्रण
पारंपरिक रूप से भारत में पूर्णत: मानव चालित अथवा अर्द्ध स्वचालित (जिसमें कुछ कार्य मशीनें करती हैं) पथ-कर प्रणालियाँ प्रयुक्त होती हैं। प्रथमतय:, हम इन पथ-कर एकत्रण विधियों के उपयोग संबंधित पक्ष-विपक्ष पर विवेचना करेंगे।
अर्द्ध स्वचालित पथ-कर एकत्रण विधि अनेक अर्थों में मानव संचालित नाकों का तकनिकी आधुनिकीकरण है। जहाँ, मानव संचालित नाकों का स्थान स्वचालित बैरियर ने ले लिया, किंतु पावती इत्यादी में मानव उपस्तिथी रहती है। यह विधि प्रति घंटा लगभग ५०० वाहनों (एक लेन पर) का पथ-कर निपटान करने में सक्ष्म होती है| जबकि, मानव चालित विधि में एक घंटे में ३५० वाहनों का ही निपटान होता है।
पक्ष
सबसे पहले हमें मानना पड़ेगा कि समकालीन राजमार्गों का निर्माण इसी पारंपरिक पथ-कर के माध्यम से एकत्रित धन से ही संभव हुआ है। नए राजमार्गों पर हमें निर्विघ्न एवं त्वरित यात्रा का अनुभव प्राप्त हुआ तथा यात्रा का समय, ईंधन खपत, वाहन व स्वयं पर अवांछित तनाव में कमी आई है। इसके साथ-ही-साथ कच्चे तेल के आयात में कमी से भारतवर्ष का वित्तीय लाभ भी हुआ है।
विपक्ष
पारंपरिक विधि में राजमार्ग की संपूर्ण लंबाई के लिए पथ-कर का भुगतान करना पड़ता है। भले ही, आपका गंतव्य पथ-कर नाके से कुछ किलोमीटर ही दूर क्यों ना हो। एवं विभिन्न कारणवश, भारतवर्ष में पथ-कर नाकों पर, एक लेन में प्रति घंटा ३०० वाहनों का ही आवागमन हो पाता है। अत: कभी-कभी पथ-कर की पारंपरिक विधियों पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगाना तर्कसंगत है।
‘फ़ास्ट-टैग’ का आगमन
अगर यह कहें कि, किसी अविरल धारा की भाँति प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) निरंतर बढ़ती है तथा अपने उद्गम से प्रारंभ होकर, पथ पर व्यव्हारिक बाधाओं का निवरण करती है; तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। पथ-कर एकत्रण के दृष्टिकोण से प्रौद्योगिकी की अविरल धारा का समकालीन नवीनतम स्वरूप फ़ास्ट-टैग (तीव्र-बिल्ला) है। जिसका व्यावसाविक नाम फ़ास्टैग है।
फ़ास्टैग प्रणाली वाहनों को अविराम एवं गति बदले बिना ही पथ-कर नाका पार करने देती है। इससे पथ-कर नाकों का कुशलता से संचालन होता है एवं प्रति घंटा एक लेन से १,२०० वाहन जा सकते हैं।
पथ-कर एकत्रण में पारदर्शिता लाने और नाकों पर लंबी कतारों को समाप्त करने के लिए, एन॰एच॰ए॰आई॰ फ़ास्टैग को बढ़ावा दे रहा है और लोगों के इसका उपयोग करने के लिए प्रेरित कर रहा है। फ़ास्टैग एन॰एच॰ए॰आई॰ के कार्यालयों और भागीदार बैंकों से खरीदा जा सकता है। हाल ही में एन॰एच॰ए॰आई॰ ने सूचित किया है कि निकट भविष्य में फ़ास्टैग पेट्रोल पंपों पर भी उपलब्ध होगा।
इसके अतिरिक्त, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की अधिसूचना (२०१७) के अनुसार सभी नए वाहनों पर – निर्माता अथवा डीलर द्वारा – आर॰एफ॰आई॰डी॰ युक्त फ़ास्टैग लगाना अनिवार्य है। यदि आपका वाहन पुराना है, तो आप फ़ास्टैग क्रय कर स्वयं ही अपने वाहन पर चिपका सकते हैं।
कार्य प्रणाली
यह फ़ास्ट-टैग वाहन के अग्रिम वायु-रोधी शीशे (विंड स्क्रीन) पर लगाए जाते हैं। फ़ास्ट-टैग एक इलेक्ट्रॉनिक चिप है जिसमें वाहन और उसके स्वामी के आवश्यक विवरण संयोजित होते हैं। यह पथ-कर नाके पर पहचान चिन्ह का कार्य करता है।
फ़ास्ट-टैग से विवरण पढ़ने के लिए फ़ास्ट-टैग सक्षम टोल नाके पर आवश्यक उपकरण (संवेदक) नाके से लगभग ८० मीटर पहले लगे होते हैं। जैसे ही फ़ास्ट-टैग से सुसज्जित वाहन इसके समीप से निकलता है, रेडियो तरंगों के माध्यम से वाहन के संपूर्ण विवरण पढ़ लिए जाते हैं। यदि बिल्ले से धन निकाला जा सकता है तो नाका स्वचालित रूप से खुल जाता है और वाहन बिना रुके निकल जाता है।
भुगतान प्रणाली
फ़ास्ट-टैग पूर्णत: स्वचालित पथ-कर भुगतान एवं एकत्रीकरण की विधि है। यह बिल्ला आपके बैंक खाते, डैबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड से संलग्न रहता है। इसका दूसरा भुगतान विकल्प, पूर्वदत् (प्रीपेड) बिल्ला है।
फ़ास्ट-टैग पढ़ने वाले यंत्र आपके बिल्ले से संबंधित सभी जानकारियों की पुष्टि करते हैं, जैसे कि, वाहन का प्रकार (कार, ट्रक, आदि), पर्याप्त धनराशि (पूर्वदत् की स्थिति में), इत्यादि। वाहन जैसे ही संवेदक के १० मीटर की परिधि में पहुँचता है तो संवेदक संपूर्ण जानकारी की पुष्टि करके दो विकल्प प्रस्तुत करते हैं। भुगतान योग्य बिल्ले की परिस्थिति में यह द्रुत पथ (फ़ास्ट लेन) का बैरियर खोल देता है। अन्यथा यह मानवचालित लेन की ओर जाने का संकेत करता है।
चयनित विधि के अनुसार बिल्ले से पथ-कर का भुकतान स्वत: ही हो जाता है। भुकतान की पुष्टी के लिए, आपके पंजीकृत मोबाइल पर एक संदेश भेजा जाता है। एवं, 'सोने पे सुहागे' को चरित्रार्थ करते हुए, एन॰एच॰ए॰आई॰ अनुमोदित नाकों पर, ५% का नकदी-वापसी (कैश-बैक) का भी प्रावधान है।
भू-बाड़ के साथ आधुनिक फ़ास्ट-टैग
आधुनिक फ़ास्टैग पाठक / संवेदक जी॰पी॰एस॰ सक्षम हैं, जिससे सड़कों पर वाहन की सटीक ट्रैकिंग संभव होती है। जी॰पी॰एस॰ की मदद से, एन॰एच॰ए॰आई॰ ने राजमार्गों पर काल्पनिक बाड़ लगाई है, जिसे भू-बाड़ कहते हैं। भू-बाड़ और फ़ास्टैग से राजमार्ग पर वाहन द्वारा प्रवेश और निकास स्थान की सटीक पहचान की जाती है और केवल राजमार्ग पर चली गई दूरी के लिए पथ-कर लिया जाता है। यह चालक को सबसे छोटे तथा सुविधाजनक मार्ग का चयन करने का विकल्प प्रदान करता है।
फ़ास्टैग — निष्कलंक लेन-देन
फ़ास्टैग पथ-कर को पूरी तरह से स्वचालित प्रणाली में परिवर्तित कर देता है। इस प्रणाली में कई स्वतंत्र संगठन, विभिन्न कार्यों जैसे कि फ़ास्टैग का विक्रय, रिचार्ज या कर राशि की कटौती, वाहन के प्रवेश / निकास को अंकित करना इत्यादि का संचालन करते हैं। ये सभी मध्यस्थ संगठन साथ मिलकर पथ-कर प्रणाली को कार्यान्वित करते हैं। इससे पथ-कर का लेखा-जोखा एकदम सही होता है एवं सभी संगठनों के अनुबंध के अनुसार धन का वितरण होता है।
यह भ्रष्टाचार को समाप्त कर पूरी पथ-कर प्रणाली में पारदर्शिता लाता है जबकि पारंपरिक विधियों में भ्रष्टाचार व्यापक रूप से फैला हुआ था।
सारांश
आधुनिक फ़ास्टैग राष्ट्रीय राजमार्गों का उपयोग करने वाले यात्रियों के लिए एक वरदान हैं। फ़ास्टैग तीव्र एवं आरामदायक यात्रा सुनिश्चित करने के साथ, पथ-कर के सही हाथों में पहुंचने का आश्वासन भी प्रदान करते हैं। भू-बाड़ यात्रियों को पथकर का न्यूनतम भुगतान करने का विकल्प प्रदान करती है। इससे राजमार्गों पर चलने वाले वाणिज्यिक वाहन बेड़े के स्वामियों को भी को चैन मिलता है क्योंकि अब उनके चालकों के लिए, समय की बचत के साथ, एक झंझट कम होता है।
आर॰एफ॰आई॰डी॰ से सुसज्जित पथ-कर प्रणाली अब राजमार्गों से निकलकर महानगरों में प्रवेश कर रही है। इसका नवीनतम उदाहरण, दिल्ली नगर निगम द्वारा "नगर प्रवेश कर" एकत्रण हेतु सभी सीमाओं पर आर॰एफ॰आई॰डी॰ सक्षम नाके लगाना है।
अगली बार राजमार्ग पर फ़ास्टैग आर॰एफ॰आई॰डी॰ बिल्ले से सुसज्जित आपकी यात्रा के लिए शुभकामनाएँ! अपना अनुभव निश्चय ही साँझा करें।
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