उत्तर प्रदेश: देव भूमि से द्रुतमार्गों की भूमि तक

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उत्तर प्रदेश: देव भूमि से द्रुतमार्गों की भूमि तक

उत्तर प्रदेश आकार में भारत का चौथा सबसे बड़ा और सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। यह देश की मूल छवि का प्रतिनिधित्व करता है और इसे हिंदी भाषा का ह्रदय भी कहा जाता है। ऐसा कहलाने का कारण सिर्फ इस राज्य का विशाल विस्तार या जनसंख्या नहीं है बल्कि यहाँ का धार्मिक, राजनीतिक और व्यावसायिक महत्व भी है। विकास के अधिकांश मानकों पर उत्तर प्रदेश अपने-आपको भारत में सबसे पीछे खड़ा पाता है। किंतु पिछले कुछ वर्षों से उत्तर प्रदेश ने आर्थिक विकास की राह पकड़ ली है और यह राह द्रुतमार्गों (एक्सप्रेसवे) से होकर जाती है।

पवित्र नगरियों की देवभूमि

उत्तर प्रदेश कई धार्मिक परंपराओं की प्रगति का केंद्र रहा है, लेकिन इस राज्य का हिंदू धर्म के साथ एक अद्वितीय संबंध रहा है। गंगा नदी जो हिन्दू धर्म के ह्रदय की धड़कन है, इस राज्य की लंबाई को पार करती है। गंगा नदी के तट पर हिंदू धर्म के अनेक पवित्र तीर्थस्थल स्थित हैं जिनका अत्यधिक सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है।

प्राचीन हिंदू ग्रंथों या वेदों के अनुसार, हिंदू धर्म में सात पवित्र शहर या सप्त पुरी हैं जिनमें अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, वाराणसी, उज्जैन, द्वारका और कांचीपुरम शामिल हैं। इन सात पवित्र नगरों में से अयोध्या, मथुरा और वाराणसी उत्तर प्रदेश में स्थित हैं।

वाराणसी, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और इसे मोक्ष नगरी के रूप में जाना जाता है। पुरातात्विक साक्ष्यों से पता चलता है कि वाराणसी दुनिया का सबसे प्राचीन समय से बसा हुआ नगर है ।

प्रयाग (इलाहाबाद) गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम तट पर स्थित है। मानव जाति का सबसे विशाल धर्मसंघ, कुंभ मेला हर बारवें वर्ष प्रयाग में आयोजित किया जाता है। हिंदू धर्म के साथ-साथ अन्य पंथों के भी, लाखों अनुयायी दुनियाभर से इस पवित्र नगरी की यात्रा के लिए आते हैं।

मथुरा, जिसे ब्रजभूमि के नाम से भी जाना जाता है, यमुना नदी के तट पर स्थित है और हिंदू धर्म के सात सबसे पवित्र नगरों में से एक है। भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था और निकट स्थित वृंदावन में उनका बचपन व्यतीत हुआ था।

अयोध्या को कौन नहीं जानता। यह मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र जी जन्मभूमि है। यह नगरी उत्तर प्रदेश के अवध (प्राचीनकाल में इसे कौशल नाम से जाना जाता था) क्षेत्र में है।

आधुनिक उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश राज्य अपने समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ, आधुनिकीकरण से भी अछूता नहीं रहा है । वर्ष २०११ की जनगणना रिपोर्ट से पता चलता है की वर्तमान में राज्य की ४५ प्रतिशत जनसंख्या ४५ वर्ष की उम्र से कम की है। इस विशाल जनसंख्या को आजीविका प्रदान करने की आवश्यकता है। कृषि और विनिर्माण उत्पादन वृद्धि ने ग्रामीण और नगरीय युवाओं को आजीविका के नये अवसर प्रदान किये हैं। एनएसडीपी की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार भारत के सकल घरेलू उत्पाद में उत्तर प्रदेश का ८ प्रतिशत योगदान है जो की अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश को चौथा सबसे अधिक योगदान देने वाला राज्य बनाता है।

कृषि और किसान कल्याण के लिए भारत सरकार द्वारा कृषि उत्पादन पर जारी की गयी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, देश में उत्पादित अनाज का २० प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश से आता है। यहां की जलवायु और मिट्टी की गुणवत्ता गन्ना जैसी नकदी फसलों की खेती के लिए सबसे उपयुक्त है। यूएसडीए द्वारा जारी की गयी कृषि रिपोर्ट के अनुसार, देश में उत्पादित होने वाली चीनी और उसके सह उत्पाद का ७० प्रतिशत हिसा उत्तर प्रदेश में उत्पादित होता है।

आधारभूत संरचना की वृध्दि

यमुना एक्सप्रेसवे

प्रदेश में विकास की प्रवृत्ति, पूरे राज्य में व्यापक आधारभूत संरचना के विकास में प्रमुख रूप से परिलक्षित होती है। प्राचीन काल में, गंगा और इसकी सहायक नदियां प्रयाग, लखनऊ, वाराणसी इत्यादि जैसे प्रमुख नगरों के बीच यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण मार्ग होती थीं। हालांकि, वर्त्तमान में इन राज्यों के बीच का मार्ग द्रुतमार्गों (एक्सप्रेसवे) और

राजमार्गों के विकास के कारण पूर्णतया बदल चुका है। भारत में द्रुतमार्गों का सबसे व्यापक तंत्र उत्तर प्रदेश में है। भारत में लगभग १५०० किमी द्रुतमार्ग हैं और इनमें से ४० प्रतिशत उत्तर प्रदेश में हैं। भारत का अधिकतम लम्बाई वाला द्रुतमार्ग भी उत्तर प्रदेश में निर्मित है। यह द्रुतमार्ग नोएडा को लखनऊ से जोड़ता है और इसकी लम्बाई ५१२ किलोमीटर की है। हालांकि सैद्धांतिक रूप से यह दो भागों में विभाजित है और आगरा इन दोनों भागों का संधिस्थल है। अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक द्रुतमार्ग निर्माण या नियोजन के विभिन्न चरणों में हैं।

मुख्य द्रुतमार्ग (एक्सप्रेसवे)

यमुना एक्सप्रेसवे – आगरा को राष्ट्रीय राजधानी के निकट स्तिथ ग्रेटर नोएडा से जोड़ता है। यह एक्सप्रेसवे दिल्ली से भारत के सबसे आकर्षक पर्यटक स्थल, आगरा की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए एक सुगम यात्रा का अनुभव प्रदान करता है। मथुरा जाने के लिए इस एक्सप्रेसवे से एक रास्ता जाता है।

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे – राज्य में निर्मित महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है। आगरा व लखनऊ के बीच ३०२ किल्लोमीटर की लम्बाई वाला यह द्रुतमार्ग कन्नौज और उन्नाव जैसे ऐतिहासिक नगरों को भी जोड़ता है। इसका राज्य की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है।

ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे – को राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे २ (एनई २) भी कहा जाता है, यह दिल्ली की पूर्वी दिशा में अर्धवृत्त बनाता है। १३५ किलोमीटर लम्बा यह द्रुतमार्ग कुंडली से प्रारम्भ होकर पलवल में अन्त होता है। यद्यपि ये दोनों स्थान हरियाणा राज्य में हैं, लेकिन एक्सप्रेसवे का अधिकांश भाग उत्तर प्रदेश में हैं।

उपर्युक्त द्रुतमार्गों के अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश में और भी कई द्रुतमार्ग भी हैं जोकि निर्माण या नियोजन के विभिन्न चरणों में हैं।

निष्कर्ष

बुनियादी ढांचा और सड़क विकास हर देश की प्रगति की नींव है। उत्तर प्रदेश, भारत के सबसे पिछड़े राज्यों में गिना जाता है वहां द्रुतमार्गों का व्यापक निर्माण, भारत के प्रगति के मार्ग पर अग्रसर होने का प्रतीक है। द्रुतमार्गों का निर्माण करते समय आधुनिक नगरों के साथ प्राचीन धार्मिक तीर्थस्थलों एवं सांस्कृतिक स्थलों को भी महत्व दिया गया है, इस तथ्य अत्यंत सराहनीय है।

आपकी अगली तीर्थयात्रा एक आधुनिक द्रुतमार्ग पर मंगलमय हो।

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