नया मोटर वाहन अधिनियम

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Motor Vehicle Act 2019

नया मोटर वाहन अधिनियम ३१ जुलाई २०१९ को राज्य सभा में पास हो गया था इसके बाद इस अधिनियम पर राष्ट्रपति ने भी अपनी मंजूरी दे दी थी। १ सितम्बर २०१९ से यह अधिनियम पूरे देश (कुछ राज्यों को छोड़कर) में एक साथ लागू भी कर दिया गया है। अधिनियम के लागू होने के पहले दिन से ही इसने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। कुछ लोगों ने इस नए अधिनियम का विरोध किया तो बहुतों ने इसे सराहा भी। प्रतिदिन भारी अर्थदंड वाले चालान कटने की भी खबरें खूब सुनने को मिल रही हैं। आईये इस मोटर वाहन अधिनियम को लाने के कारणों की पणताल करें और देखें कि इसके भविष्य में क्या परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

 

नया मोटर वाहन अधिनियम क्यों आवश्यक था?


पिछले दो दशकों में हमारे देश में सड़कों का विकास काफ़ी तेज़ी से हुआ है। पूरे देश मे बड़े हाईवे और एक्सप्रेसवे का जाल तीव्रता से बढ़ रहा है। जब सड़कें उत्कृष्ट हुईं तो वाहनों की बिक्री में भी वृद्धि देखने को मिली। साथ ही सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ने से दुर्घटना का लेखाचित्र भी तीव्रगति से बढ़ने लगा। विश्व में सड़क दुर्घटनाओं से सर्वाधिक मृत्यु भारत में होती हैं।

निम्न गुणवत्ता की सड़कें दुर्घटनाओं का मुख्य कारण थीं। वहीं दूसरी ओर असावधानी से वाहन चलाना, यातायात के नियमो का पालन ना करना भी दुर्घटना और जाम लगने का प्रमुख कारण हैं।

सड़कों पर ट्रैफिक जाम कम करने और इन दुर्घटनाओं से होने वाली जन-धन की क्षति को कम करने के लिए नए मोटर वाहन अधिनियम का लागू होना आवश्यक था।

 

मुख्य परिवर्तन


नया मोटर वाहन अधिनियम एक साथ कई प्रकार की समस्याओं को हल करने का प्रयास करेगा। इस अधिनियम से आने वाले समय में सकारात्मक प्रभावों का यहाँ संक्षेप में वर्णन किया गया है।

यातायात के नियमों को तोड़ने पर होने वाले अर्थदंड की राशि को कई गुना बढ़ा दिया गया है। इससे उन वाहन चालकों पर लगाम लगेगी जो कि यातायात नियमों को ताक पर रखकर वाहन चलाते हैं। चालान की राशि अधिक होने से लोग निश्चित रूप से ट्रैफिक नियमो का सख़्ती से पालन करना शुरू करेंगे। बढ़े हुए चलान राशि की सूचना PIB की वेबसाईट पर उपलब्ध है।

नए अधिनियम में अब सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त लोगों के उपचार एवं सहायता के लिए भी अधिक ध्यान दिया गया है। दुर्घटना के उपरान्त शीघ्र चिकित्सकीय सहयता पहुँचा कर जनहानि पर अंकुश लगाने का प्रयास किया गया है।

वाहनों को विनिर्माता द्वारा वापस कराये जाने का प्रावधान भी इस अधिनियम में किया गया है। अब सरकार वाहन विनिर्माता कम्पनी से उसके खराब वाहनों को वापस करने का निर्देश दे सकती है। इस नियम की भारत में बहुत आवश्यकता थी, जिसको नया मोटर वाहन अधिनियम पूरा करता दिख रहा है।

वाहन का पंजीकरण कराना और ड्राईविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया भी अब तक बहुत पेंचीदी थी। लेकिन नए मोटर वाहन अधिनियम के आ जाने से ये प्रक्रिया अब बेहद आसान हो गयी है। सरकार द्वारा लाये गए 'सारथी और वाहन' सॉफ्टवेयर से ड्राईविंग लाइसेंस एवं वाहनों के पंजीकरण का राष्ट्रीय स्तर पर आंकड़ासंचय (डेटाबेस) तैयार किया गया है। जिससे नकली या एक से अधिक ड्राईविंग लाइसेंस बनवाना असम्भव हो जाएगा।

 

आगे की राह


यातायात नियम तोड़ने पर भारी अर्थदंड और जेल जाने का प्रावधान लाते हुए सरकार ने देश की ख़स्ताहाल यातायात व्यवस्था को रास्ते पर लाने का काम किया है। सही मायने में अभी तक तो सड़क पर चलने वाले वाहन चालकों को यातायात के नियमों का पता ही नही होता था। अब लोगों में यातायात नियमों को लेकर जागरूकता भी बढ़ती दिख रही है। इस दिशा में सड़क और परिवहन मंत्रलाय का अगला कदम वाहन चालकों की शिक्षा पर होना चाहिए।

"सुरक्षित वाहन चालन" की शिक्षा को सभी के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए। ताकि सड़को पर हृदय विदारक दुर्घटनाएं कम से कम देखने को मिले। इस तरह के नियम निश्चित रूप से सड़कों की यात्रा को सुरक्षित एवं सुखद बनाने में सफल होंगे।

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